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"सखि बसंत आया / मानोशी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>सखि बसंत आया ।
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कोयल की कूक तान,
 
कोयल की कूक तान,
 
व्याकुल से हुए प्राण,
 
व्याकुल से हुए प्राण,
 
बैरन भई नींद आज,
 
बैरन भई नींद आज,
साजन संग भाया ।
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साजन संग भाया।
सखि बसंत आया ।
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सखि बसंत आया।
  
 
लगी प्रीत अंग-अंग,
 
लगी प्रीत अंग-अंग,
 
टेसूओं के लाल रंग,
 
टेसूओं के लाल रंग,
 
बिखरी महुआ सुगंध,
 
बिखरी महुआ सुगंध,
मदिरा मद छाया ।
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मदिरा मद छाया।
सखि बसंत आया ।
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सखि बसंत आया।
  
 
पाँव थिरक देह हिलक,
 
पाँव थिरक देह हिलक,
 
सरसों की बाल किलक,
 
सरसों की बाल किलक,
 
धवल धूप आज छिटक,
 
धवल धूप आज छिटक,
सोन जग नहाया ।
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सोन जग नहाया।
सखि बसंत आया ।
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सखि बसंत आया।
  
 
अमुवा की डार-डार,
 
अमुवा की डार-डार,
 
पवन संग खेल हार,
 
पवन संग खेल हार,
 
उड़ गुलाल रंग मार,
 
उड़ गुलाल रंग मार,
सुखानंद लाया ।
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सुखानंद लाया।
सखि बसंत आया ।</poem>
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सखि बसंत आया।
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09:26, 7 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

कोयल की कूक तान,
व्याकुल से हुए प्राण,
बैरन भई नींद आज,
साजन संग भाया।
सखि बसंत आया।

लगी प्रीत अंग-अंग,
टेसूओं के लाल रंग,
बिखरी महुआ सुगंध,
मदिरा मद छाया।
सखि बसंत आया।

पाँव थिरक देह हिलक,
सरसों की बाल किलक,
धवल धूप आज छिटक,
सोन जग नहाया।
सखि बसंत आया।

अमुवा की डार-डार,
पवन संग खेल हार,
उड़ गुलाल रंग मार,
सुखानंद लाया।
सखि बसंत आया।