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दर्प गुफाओं से
शहद की मक्खियों का बड़ा झुण्ड
फैल गया है सारे आकाश पर
शहीदी मुद्रा में.
उनके पास पराग भी है
और डंक भी.
नीचे खुदते हुए नाले की मुँडेर पर
खड़ा मजूर/गर्दन उठाए
लगातार देख रहा है
काले आसमान को.
एक थकान-
धीरे-धीरे जकड़ लेती है उसकी गर्दन.
वह थकी गर्दन का बोझ लादे
फावड़ा लिए घुस जाता है नाले में
और शहद की मक्खियाँ
(डंक छिपाए)
शहद के छत्ते में.