भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बादल: चार / प्रताप सहगल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रताप सहगल |अनुवादक= |संग्रह=आदि...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:35, 14 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
ज़मीन का शोर
गुंथ-गुंथा कर
चढ़ गया
आकाश में
और एक धुएं की घाटी में
बदल गया
1985