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आगळ / अर्जुनदेव चारण
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06:44, 15 अक्टूबर 2013
|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
}}
{{
KKCatMoolRajasthani
KKCatRajasthaniRachna
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{{KKCatKavita}}
<Poem>
हरेक आंख मांय
एक घर होवै
बजावै आडौ
खुल जावै आगळ
</Poem>
Sharda suman
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