भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शर्म से पानी-पानी / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=कविता ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:00, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

आजकल
मन में उठने लगे हैं बहुत सवाल
कुछ सवालों का जवाब
जैसे-तैसे खोज लेती हूँ
पर, कुछ सवाल
खड़े रहते हैं
देते हुए चुनौती
मेरे अस्तित्व को।

ऐसे ही एक दिन मैंने
धर्म-ग्रन्थों से पूछ लिया
कौन हो तुम असल में?
क्या हिन्दू हो या मुसलमान
सिक्ख या ईसाई
पूछते ही
बर्फ़ का हिमालय
गल गया।
सच मानिए
शर्म से इस तरह पानी-पानी होते
मैंने पहली बार किसी को देखा।