भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भविष्य / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=कविता ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:03, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

हाथ की आड़ी-तिरछी रेखाएँ
पढ़ते-पढ़ते
मैं पढ़ने लग गई हूँ
देश का भविष्य
क्योंकि
मेरे हाथ में
एक नेता का हाथ है।
रोज़ अपने भाषण में
तरक्की के नाम पर
खाता है कसमें
करता है वायदे
और सीढ़ी दर सीढ़ी
ऊपर उठने के नाम पर
धकेल रहा है
देश को नीचे, नीचे
और नीचे
और उसका भविष्य सुधर रहा है।