भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रमत ! / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया   
 
|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया   
 
}}
 
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
+
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
 
 
आभै नै पटक‘र
 
आभै नै पटक‘र
 
दाबलै
 
दाबलै
पंक्ति 29: पंक्ति 27:
 
आं दो री रमत आ
 
आं दो री रमत आ
 
आखी जीवा जूण !  
 
आखी जीवा जूण !  
 
 
</Poem>
 
</Poem>

07:11, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

आभै नै पटक‘र
दाबलै
बगत नै बिलमा‘र
राखलै
हाल कोनी जलम्या इस्या
नखतरी कविया‘र का‘णीकार
पाणी‘र पून
माटी‘र अगन
सै बगै
आं दो री सैन सागै
सै ढ़बे
ए जठे ढ़ाबै
करै आ री ही परकरमां
छऊँ रितुवां
ऐ ही फूलै‘र फळै
पाचै‘र गळै
घलै सिस्टी रै घर में
आं रै घाल्योड़ो लूण
आं दो री रमत आ
आखी जीवा जूण !