भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भीड़ / रमेश भोजक ‘समीर’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
{{KKCatMoolRajasthani‎}}
+
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>कूड़ है, सरासर कूड़
+
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 +
कूड़ है, सरासर कूड़
 
थूं कूड़ो है
 
थूं कूड़ो है
 
सदा करै कूड़ी बातां
 
सदा करै कूड़ी बातां

11:12, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

कूड़ है, सरासर कूड़
थूं कूड़ो है
सदा करै कूड़ी बातां
ऊभो भीड़ मांय
अर करै दावो
निरवाळै सोच रो
थनैं ठाह तो है
कै जिका भेळा होवै
भीड़ भेळै
वै कीं नीं सोचै
अर जिका कीं सोचै
वै कद बणै
हिस्सो भीड़ रो?