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"तेरा मारिया ऐसे रोऊँ / हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर

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तेरा मारिया ऎसा रोऊँ
 
तेरा मारिया ऎसा रोऊँ
  
जिसा झरता मोर बनी का
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जिसा झरता मोर बणी का
  
तेरे पाइयाँ माँ पायल बाजे
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तेरे पाइयाँ माँ पायल बाजै
  
 
जिसा बाजे बीज सणीं का
 
जिसा बाजे बीज सणीं का
  
थोड़ा-सा नीर पला दै
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थोड़ा-सा नीर पिला दै
  
 
प्यासा मरता दूर घणीं का
 
प्यासा मरता दूर घणीं का

21:14, 12 जुलाई 2008 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तेरा मारिया ऎसा रोऊँ

जिसा झरता मोर बणी का

तेरे पाइयाँ माँ पायल बाजै

जिसा बाजे बीज सणीं का

थोड़ा-सा नीर पिला दै

प्यासा मरता दूर घणीं का


भावार्थ

--'तेरे सौन्दर्य से घायल होकर मैं वन के मोर की तरह रोता हूँ । तेरे पैरों की पाजेब ऎसे बजती है, जैसे सन के बीज झंकार करते हैं । अरी ओ थोड़ा-सा जल पिला दे मुझे, दूर का पथिक हूँ मैं प्यास से व्याकुल ।'