भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लालसा / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=मौन से स...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:04, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
मुक्ति के प्रश्न पर
उठते रहे हैं बहुत सवाल
और मिले हैं अधूरे जवाब
मुझे लगता है
पूर्णता मुक्ति है
पर पूर्ण क्या है?
ज़िन्दगी की बहुत अहम चीज़ों को
हम छू तक नहीं सकते
न प्रेम को, न मौत को
न खुशी को, न ग़म को
जिनका स्पर्श हम कर पाते हैं
वे होती हैं बहुत मामूली चीज़ें
कपड़े, गहने और मकान
जो देती है हमें
पूर्णता का भ्रम।