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"झरोखा / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

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16:07, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

उसने मुझे कहा
घुटन से बचना है तो कविता लिखो
मन की दीवारों की
सभी बंद खिड़कियाँ खोल डालो
आने दो धूप हवा पानी
मन में आँगन में
हो सकता है कोई गौरैया
बनाना चाहे घोंसला
मत रोकना उसे
खुली खिड़कियों से स्वागत करना उसका
बेजान दीवारों से भरे सन्नाटे को
ज़िन्दगी से भर देगी
छोटी सी चिड़िया
मेरे दोस्त!
अपने से बाहर से निकलना ही
तरलता का विस्तार है