भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेबसी / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=मौन से स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:42, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

अपने ढंग से
कुछ जिया नहीं मनचाहा सुख दुख पिया नहीं
पतझड़ हो या बरसात
झरती पत्तियों सा
जीवन जी लिया
कभी भी
अपनेपन को
अपने ही दुखों से
सी लिया।