भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कादम्बरी / पृष्ठ 12 / दामोदर झा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दामोदर झा |अनुवादक= |संग्रह=कादम्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:11, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

55.
मृतक पिताके छोड़ि निकट एक झाँखुड़मे जा पैसल
डरसँ भय निःशब्द अचंचल पातक तरमे बैसल।
तरुसँ उतरि कृतान्त दूत ओ हत खग सब गहि लेल
जुन्ना बना लतीसँ बान्हल सेनापति पथ गेले॥

56.
अनुमिति बाहर विधि-विधानसँ हम ओहि छनमे बचलहुँ
पातक रंग छलहुँ ओकरा मति नहि सजीव हम जँचलहुँ।
ओ दुर्जन अति दूर गेल आँखिक पथ ओझल भेले
जीवन आशा जागल तखन पियास तेज भय गेले॥

57.
उड़बामे असमर्थ छलहुँ जल खग रव दूर सुनायल
पैदल चलि चलि कहुना कहुना पम्पासर लगिचायल।
पातो हिलने शंकित कोमल प्यर हमर सहमै छल
पुनि पुनि वामा दहिना खसि उत्साह हीन विरमै छल॥

58.
छन-छन ‘हाय पिता’ ई कहि कहि कनिते कोंढ़ फटै छल
पुनि जीवन आशासँ विकल पियासे जीह सटै छल।
ऋतु ग्रीषम नभ मध्य दिवाकर बालु आगि सदृशे छल
पाकल पयर चलैमे अक्षम मुइलहुँ हम ई सोचल॥

59.
ताहि सरोवरकेर निकटे छल मुनि जन पूत तपोवन
ऋषि जाबालि ततय छथि कुलपति जनु भुगत चतुरानन।
तनिके सुत हारीत नाम ऋषि सर नहाइ लय अयला
मध्य दिवस अभिषेक हेतु सङ बहु मुनि बालक लयला॥