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49.
हिनक भीम-सन शक्ति मात्रके छोड़ि चित्रकार
सब गुणमे शुकनास तनय छवि हिनके अनुहर।
राजा बूझि कृतार्थ पुत्रके गुरु अनुमतिसँ
शुकनासहुके पूछि अनयबालय द्रुत गतिसँ॥
50.
नाम बलाहक सेनापतिके झट अनबओलनि
शुभ मंगल कय नीक दिवसमे ओतय पठओलनि
शत-शत राजकुमार संगमे अगणित दल छल
ढोल-ढाक आडम्बर फटिते अम्बर-तल छल॥
51.
संगहिं एक पठाओल इन्द्रायुध तुरंगके
गुणमे उच्चैः श्रवा चालि जीतय विहंगके।
जाय बलाहक विद्या गृह नृप सुतके देखल
कय प्रणाम कर जोड़ने आँखि सफल निज लेखल॥
52.
कहलनि घर अयबालय अछि भूपतिकेर आज्ञा
राजकुमार सबहिं परिचित करु कहि-कहि संज्ञा।
तैखन सकल कुमार प्रणामांजलिक मुकुल लय
पूजल आखण्डलहिं देवगण सम संकुल भय॥
53.
पर्याणक रत्नक दुति जे इन्द्रायुध दबलनि
इन्द्रायुधके आनि बलाहक से पुनि कहलनि।
ई आनल अपनेक चढ़ैलय अश्व-रत्न अछि
घोड़ी उदर अजात महावारिधि उद्गत अछि॥