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1.
राजकुमार तनिक गुण-गौरवसँ अति बढ़ल कुतूहल
विनय उदार भाव मधुमिश्रित वाणीसँ ई पूछल।
भगवति, कयल प्रसाद अहाँ ते हमहुँ ढीठ भय गेलहुँ
अछि परिचय अहाँक कौतुकमय पुछबा लय मन कयलहुँ॥
2.
हमरा सनक आँखि ई अजगुत घटना नहि अछि निरखल
निश्चय गाछ अहाँके भिक्षा दैछ एतय हम देखल।
तें गुनि अपन प्रसादपात्र हमरा अनुचर कय लेखू
निज वृत्तान्त सुनाय अनुग्रह-द्रवित आँखिसँ देखू॥
3.
सुर गन्धर्व सिद्ध विद्याधर कोन वंश पावनमे
देवजाति निज जन्महिं भूषित कयलहुँ स्वर्ग भुवनमे।
पंचभूतमय देह अहाँ केर जहिना भूतल नर केर
किये धवलता नीच करै अछि दाँतहुँ दिक्करिवर केर॥