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70.
सत्ये जँ ई कमललोचना हमरा पर मोहित अछि
तँ कुसुमायुध प्रकट करओता शीघ्र ई निश्चित अछि।
सेना हमर बिना हमरा की हयत करैत बिचारल
वैशम्पायनके बिनु पुछने अगम भूमि पद धारल॥
71.
ई सब सोचथि राजकुमार आँखि दुहु मुनने
नहि ई अजगुत देखने कतहु छला नहि सुनने।
निद्रा आबि हिनक मानस आच्छादन कयलक
यावत अरुण महेन्द्र दिशा केर मग अपनओलक॥