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"प्यार के पुतले / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर

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बात मीठी लुभावनी सुन सुन।
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बात मीठी लुभावनी सुन-सुन।
 
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जो नहीं हो मिठाइयाँ देते।
 
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तो खिले फूल से दुलारे का।
 
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चाह से गाल चूम तो लेते।।
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हाथ उन पर भला उठायें क्यों।
 
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जो कि हैं ठीक फूल ही जैसे।
 
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पा सके तन गला-गला जिन को।
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गाल उनका भला मलें कैसे॥
  
पा सके तन गला गला जिन को।
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है लुभा लेती ललक पहलू लिए।
 
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गाल उनका भला मलें वै+से।
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है लुभा लेती ललक पहलू लिये।
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हैं कमाल भरी अमोल पहेलियाँ।
 
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लालसा वाले निराले लाल के।
लालसावाले निराले लाल के।
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हाथ की ये लाल-लाल हथेलियाँ।।
 
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हाथ की लाल लाल हथेलियाँ।
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तैरते हैं उमंग लहरों में।
 
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चाव से लाड़ साथ लड़-लड़ के।
चाव से लाड़ साथ लड़ लड़ के।
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लाभ हैं ले रहे लड़कपन का।
 
लाभ हैं ले रहे लड़कपन का।
 
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हाथ औ पाँव फेंकते लड़के।।
हाथ औ पाँव फेंकते लड़के।
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प्यार कर प्यार के खिलौने को।
 
प्यार कर प्यार के खिलौने को।
 
 
कौन दिल में पुलक नहीं छाई।
 
कौन दिल में पुलक नहीं छाई।
 
 
देख भावों भरी भली सूरत।
 
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कौन छाती भला न भर आई॥
कौन छाती भला न भर आई।
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चूम लें और ले बलायें लें।
 
चूम लें और ले बलायें लें।
 
 
लाभ है लाड़ के ऍंगेजे में।
 
लाभ है लाड़ के ऍंगेजे में।
 
 
मनचले नौनिहाल हैं जितने।
 
मनचले नौनिहाल हैं जितने।
 
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हँस उन्हें डाल लें कलेजे में।।
हँस उन्हें डाल लें कलेजे में।
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ले सके जो, उसे न क्यों लेवे।
 
ले सके जो, उसे न क्यों लेवे।
 
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लाड़ला वह तमाम घर का है।
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ठीक पर का अगर रहा पर का।
 
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दूसरा कौन पीठ पर का है।।
दूसरा कौन पीठ पर का है।
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क्यों ललकती रहें न माँ-आँखें।
 
क्यों ललकती रहें न माँ-आँखें।
 
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दिल उसे लाल फूल का कह-कह।
दल उसे लाल फूल का कह कह।
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लाल है, है गुलाल की पुटली।
 
लाल है, है गुलाल की पुटली।
 
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लाल की लाल-लाल एड़ी यह॥
लाल की लाल लाल एड़ी यह।
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प्यार से हैं प्यार की बातें भरी।
 
प्यार से हैं प्यार की बातें भरी।
 
 
माँ कलेजे के कमल जैसा खिले।
 
माँ कलेजे के कमल जैसा खिले।
 
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पाँव-पाँव ठुमुक-ठुमुक घर में चले।
पाँव पाँव ठुमुक ठुमुक घर में चले।
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लाल को हैं पाँव चन्दन के मिले।  
 
लाल को हैं पाँव चन्दन के मिले।  
 
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13:15, 18 मार्च 2014 के समय का अवतरण

बात मीठी लुभावनी सुन-सुन।
जो नहीं हो मिठाइयाँ देते।
तो खिले फूल से दुलारे का।
चाह से गाल चूम तो लेते।।

हाथ उन पर भला उठायें क्यों।
जो कि हैं ठीक फूल ही जैसे।
पा सके तन गला-गला जिन को।
गाल उनका भला मलें कैसे॥

है लुभा लेती ललक पहलू लिए।
हैं कमाल भरी अमोल पहेलियाँ।
लालसा वाले निराले लाल के।
हाथ की ये लाल-लाल हथेलियाँ।।

तैरते हैं उमंग लहरों में।
चाव से लाड़ साथ लड़-लड़ के।
लाभ हैं ले रहे लड़कपन का।
हाथ औ पाँव फेंकते लड़के।।

प्यार कर प्यार के खिलौने को।
कौन दिल में पुलक नहीं छाई।
देख भावों भरी भली सूरत।
कौन छाती भला न भर आई॥

चूम लें और ले बलायें लें।
लाभ है लाड़ के ऍंगेजे में।
मनचले नौनिहाल हैं जितने।
हँस उन्हें डाल लें कलेजे में।।

ले सके जो, उसे न क्यों लेवे।
लाड़ला वह तमाम घर का है।
ठीक पर का अगर रहा पर का।
दूसरा कौन पीठ पर का है।।

क्यों ललकती रहें न माँ-आँखें।
दिल उसे लाल फूल का कह-कह।
लाल है, है गुलाल की पुटली।
लाल की लाल-लाल एड़ी यह॥

प्यार से हैं प्यार की बातें भरी।
माँ कलेजे के कमल जैसा खिले।
पाँव-पाँव ठुमुक-ठुमुक घर में चले।
लाल को हैं पाँव चन्दन के मिले।