भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता में आदमी / जयप्रकाश कर्दम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयप्रकाश कर्दम |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:21, 20 मार्च 2014 के समय का अवतरण

बहुत अच्छा है,
सभ्य, सहिष्णु और संवेदनशील
रहता है अच्छे-अच्छे विचारों के साथ
करता है सदभाव,
प्रेम और शांति की बातें
कविता में आदमी
काश उतना ही अच्छा होता वह
कविता से बाहर भी
क्यों लिखता है आदमी ऐसी कविता
नहीं होता जिसमें आदमी
अपनी सच्चाई के साथ
यह कविता है या आडंबर
किसके साथ है यह धोखा
कविता के साथ, आदमी के साथ
या दोनों के साथ?