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"भीड़ में तनकर / जयप्रकाश कर्दम" के अवतरणों में अंतर

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20:36, 20 मार्च 2014 के समय का अवतरण

किसको मतलब किसने भोंखा पेट में खंजर उसे
जो तड़पता है जमीं पर खून से लथपथ पड़ा।
लोग केवल देखते हैं एक तमाशे की तरह
कौन समझे दर्द उसका जो यहां सूली चढा।
रास्ते इंसान तक जाने के कैसे साफ हों
कोई अल्लाह, ईश, कोई यीसु पर अटका पड़ा।
जानते हैं सब हकीकत बोलता कोई नहीं
बात यूं बेबाकपन की करता है हर एक धड़ा।
हर कहीं मिल जाएंगी यूं तो उसूलों की मिसाल
पिस रहा हर सख्श लेकिन जो उसूलों पर अड़ा।
है जुनूनी या कि पागल सिरफिरा जो भी कहो
आदमी है वो रहे जो भीड़ में तनकर खड़ा।