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"वे जो मरते नहीं / योसिफ़ ब्रोदस्की" के अवतरणों में अंतर
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22:26, 27 मार्च 2014 के समय का अवतरण
वे जो मरते नहीं ज़िन्दा रहते हैं
साठ बरस तक, सत्तर तक,
उपदेश देते हैं
लिखते हैं संस्मरण
और उलझ जाते हैं अपनी ही टाँगों में ।
मैं ध्यान से देखता हूँ उनकी मुखाकृति को
जिस तरह देखते थे मिक्लूखा मक्लाई
पास आते वनवासियों के गोदने को ।
मिक्लूखा मक्लाई : प्रख्यात रूसी नृकुलविज्ञानी (1846-1888)