भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मिट्टी खाने वाला / के० सच्चिदानंदन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=के० सच्चिदानंदन |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=के० सच्चिदानंदन | |रचनाकार=के० सच्चिदानंदन | ||
− | |अनुवादक= | + | |अनुवादक=उमेश चौहान |
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} |
14:19, 2 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
जब खाने को कुछ भी न बचा
तो काले बच्चे ने मिट्टी खा ली,
जब माँ छड़ी लेकर आई
तो उसने मुँह खोल दिया,
माँ ने उसमें तीनों लोक देखे;
पहले में
सोने से निर्मित युद्ध-विमान थे,
दूसरे में
अनेक देशों से लूटा गया
धन व चावल,
तीसरे में
भूख, मक्खी और मौत,
वह उससे मुँह बन्द करने के लिए चीखी
उसमें रखने के लिए
एक मुट्ठी चावल न होने के कारण,
बाद में उन्हें
कारागार की ठंडी फर्श पर देखा गया था
यातना दे-देकर मार दिए गए
दो भूमिगत बागी.