भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
<div style="background:#eee; padding:10px">
 
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div style="background: #fff; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:3px inset #aaa; padding:10px">
+
<div style="background: #fff; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
  
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
</div>
 
</div>
  
<poem>
+
<div style="border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>
 
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
 
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
 
हाथी सा बलवान,
 
हाथी सा बलवान,
पंक्ति 26: पंक्ति 26:
 
कयामत ढानेवाला और हुआ !!
 
कयामत ढानेवाला और हुआ !!
 
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
 
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
</poem>
+
</div>
 
</div></div>
 
</div></div>

12:26, 15 अप्रैल 2014 का अवतरण

मजदूर का जन्म
Kk-poem-border-1.png

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ ! हाथी सा बलवान, जहाजी हाथों वाला और हुआ ! सूरज-सा इन्सान, तरेरी आँखोंवाला और हुआ !! एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ! माता रही विचार, अँधेरा हरनेवाला और हुआ ! दादा रहे निहार, सबेरा करनेवाला और हुआ !! एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ ! जनता रही पुकार सलामत लानेवाला और हुआ ! सुन ले री सरकार! कयामत ढानेवाला और हुआ !! एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !