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"झीनी झीनी बीनी चदरिया / कबीर" के अवतरणों में अंतर
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दास कबीर जतन करि ओढी, | दास कबीर जतन करि ओढी, | ||
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥ ६॥ | ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥ ६॥ | ||
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14:55, 20 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी,
कौन तार से बीनी चदरिया ॥ १॥
इडा पिङ्गला ताना भरनी,
सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥ २॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै,
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥ ३॥
साँ को सियत मास दस लागे,
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥ ४॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी,
ओढि कै मैली कीनी चदरिया ॥ ५॥
दास कबीर जतन करि ओढी,
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥ ६॥