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"रे दिल गाफिल / कबीर" के अवतरणों में अंतर

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या जीवन में क्या क्या कीता
 
या जीवन में क्या क्या कीता
 
सिर पाहन का बोझा लीता
 
सिर पाहन का बोझा लीता
आगे कौन छुडावेगा॥ २॥
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आगे कौन छुड़ावेगा॥ २॥
  
 
परलि पार तेरा मीता खडिया
 
परलि पार तेरा मीता खडिया
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अन्त समय तेरा कौन सहाई
 
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चला अकेला संग न को
 
चला अकेला संग न को
कीया अपना पावेगा॥ ४॥
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किया अपना पावेगा॥ ४॥
 
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15:31, 20 अप्रैल 2014 का अवतरण

रे दिल गाफिल गफलत मत कर
एक दिना जम आवेगा॥ टेक॥

सौदा करने या जग आया
पूजी लाया मूल गॅंवाया
प्रेमनगर का अन्त न पाया
ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥

सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता
या जीवन में क्या क्या कीता
सिर पाहन का बोझा लीता
आगे कौन छुड़ावेगा॥ २॥

परलि पार तेरा मीता खडिया
उस मिलने का ध्यान न धरिया
टूटी नाव उपर जा बैठा
गाफिल गोता खावेगा॥ ३॥

दास कबीर कहै समुझाई
अन्त समय तेरा कौन सहाई
चला अकेला संग न को
किया अपना पावेगा॥ ४॥