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"नारी तुम महान / सावित्री नौटियाल काला" के अवतरणों में अंतर

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नारी ने सहा है अब तक जीवन में अपमान|
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अब न सहेगी अब न झुकेगी बनेंगी वे भी महान|
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अब न सहेगी अब न झुकेगी बनेंगी वे भी महान।
जीवन में आयें चाहे कितने तूफान|
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नारी रखेगी अब अपनी आन बान और शान||
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नारी रखेगी अब अपनी आन बान और शान।।
जीवन तो इक बहती नदिया है|
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इसका तो धर्म ही बहना है|
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इसका तो धर्म ही बहना है।
हम सबको इसी समाज में रहना है|
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पर रखना तुम अपना मान||
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पर रखना तुम अपना मान।।
इतना तो रखो अपने पर विश्वास|
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इतना तो रखो अपने पर विश्वास।
अपना मत डिगने दो आत्म विश्वास|
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अपना मत डिगने दो आत्म विश्वास।
होगा कभी तुमको भी होगा हम पर अभिमान|
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होगा कभी तुमको भी होगा हम पर अभिमान।
समझोगे पुत्री को तुम भी महान||
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समझोगे पुत्री को तुम भी महान।।
नारी में निहित हैं वे तीन रुप|
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नारी में निहित हैं वे तीन रुप।
सत्यम शिवम् सुंदरम की वह अनुरुप|
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सत्यम शिवम् सुंदरम की वह अनुरुप।
दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती की वह प्रारुप|
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दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती की वह प्रारुप।
सभी मानेंगे नारी की महिमा का स्वरुप||
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सभी मानेंगे नारी की महिमा का स्वरुप।।
नारी अब अबला नहीं सबला है|
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नारी अब अबला नहीं सबला है।
यही तो कमला, बिमला व सरला है|
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यही तो कमला, बिमला व सरला है।
अब वे किसी भी प्रकार का दंश नहीं सहेंगी|
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अब वे किसी भी प्रकार का दंश नहीं सहेंगी।
इल्म पाकर वे विदुषी बनेंगी||
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इल्म पाकर वे विदुषी बनेंगी।।
अब न गुलामी कर पायेंगी|
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अब न गुलामी कर पायेंगी।
वह भी मदरसे पढ़ने जायेंगी|
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वह भी मदरसे पढ़ने जायेंगी।
अपना भविष्य उज्जवल बनाएँगी|
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अपना भविष्य उज्जवल बनाएँगी।
तभी समाज का कल्याण कर पायेंगी||
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तभी समाज का कल्याण कर पायेंगी।।
 
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21:43, 9 मई 2014 के समय का अवतरण

नारी ने सहा है अब तक जीवन में अपमान।
अब न सहेगी अब न झुकेगी बनेंगी वे भी महान।
जीवन में आयें चाहे कितने तूफान।
नारी रखेगी अब अपनी आन बान और शान।।
जीवन तो इक बहती नदिया है।
इसका तो धर्म ही बहना है।
हम सबको इसी समाज में रहना है।
पर रखना तुम अपना मान।।
इतना तो रखो अपने पर विश्वास।
अपना मत डिगने दो आत्म विश्वास।
होगा कभी तुमको भी होगा हम पर अभिमान।
समझोगे पुत्री को तुम भी महान।।
नारी में निहित हैं वे तीन रुप।
सत्यम शिवम् सुंदरम की वह अनुरुप।
दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती की वह प्रारुप।
सभी मानेंगे नारी की महिमा का स्वरुप।।
नारी अब अबला नहीं सबला है।
यही तो कमला, बिमला व सरला है।
अब वे किसी भी प्रकार का दंश नहीं सहेंगी।
इल्म पाकर वे विदुषी बनेंगी।।
अब न गुलामी कर पायेंगी।
वह भी मदरसे पढ़ने जायेंगी।
अपना भविष्य उज्जवल बनाएँगी।
तभी समाज का कल्याण कर पायेंगी।।