भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कमल के फूल / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र }} <poem> फूल लाया हूँ कमल के। क्य...) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र | |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<poem> | <poem> | ||
फूल लाया हूँ कमल के। | फूल लाया हूँ कमल के। | ||
− | क्या | + | क्या करूँ' इनका, |
पसारें आप आँचल, | पसारें आप आँचल, | ||
छोड़ दूँ; | छोड़ दूँ; |
11:17, 16 मई 2014 के समय का अवतरण
फूल लाया हूँ कमल के।
क्या करूँ' इनका,
पसारें आप आँचल,
छोड़ दूँ;
हो जाए जी हल्का!
किन्तु होगा क्या
कमल के फूल का?
कुछ नहीं होता
किसी की भूल का-
मेरी कि तेरी हो-
ये कमल के फूल केवल भूल हैं-
भूल से आँचल भरूँ ना
गोद में इनका सम्भाले
मैं वजन इनके मरूँ ना!
ये कमल के फूल
लेकिन मानसर के हैं,
इन्हें हूँ बीच से लाया,
न समझो तीर पर के हैं।
भूल भी यदि है
अछती भूल है!
मानसर वाले
कमल के फूल हैं।