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"सब कछु जीवित कौ ब्यौहार / नानकदेव" के अवतरणों में अंतर
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सब कछु जीवितकौ ब्यौहार। | सब कछु जीवितकौ ब्यौहार। |
12:25, 22 मई 2014 के समय का अवतरण
सब कछु जीवितकौ ब्यौहार।
मातु-पिता, भाई-सुत बांधव, अरु पुनि गृहकी नारि॥
तनतें प्रान होत जब न्यारे, टेरत प्रेत पुकार।
आध घरी को नहिं राखै, घरतें देत निकार॥
मृग तृस्ना ज्यों जग रचना यह देखौ ह्रदै बिचार।
कह नानक, भजु रामनाम नित, जातें होत उधार॥