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"ॐ जय श्री श्याम हरे / आरती" के अवतरणों में अंतर

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ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
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खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे॥
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रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले।
 
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तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे॥
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे।
 
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खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले |
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मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें।
 
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सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें॥
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे।
 
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भक्त आरती गावे, जय जयकार करें॥
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे |
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जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
 
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सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें॥
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे।
 
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कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें॥
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें |
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ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
 
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निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें॥
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
 
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खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे...
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे |
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भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
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श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे |
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कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
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18:48, 29 मई 2014 के समय का अवतरण

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

   
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे॥
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले।
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे॥
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें॥
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे।
भक्त आरती गावे, जय जयकार करें॥
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें॥
श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे...