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"जय गंगे माता / आरती" के अवतरणों में अंतर
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+ | चन्द्र सी जो तुम्हारी जल निर्मल आता। | ||
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+ | एक ही बार जो तेरी शरणागति आता। | ||
+ | यम की त्रास मिटाकर परमगति पाता॥ | ||
+ | जग गंगे माता॥4॥ | ||
+ | आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता। | ||
+ | अर्जुन वहीं सहज में मुक्ति को पाता॥ | ||
+ | जय गंगे माता॥5॥ | ||
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15:42, 30 मई 2014 के समय का अवतरण
जय गंगे माता श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥
जय गंगे माता॥1॥
चन्द्र सी जो तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥
जय गंगे माता॥2॥
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता॥
जय गंगे माता॥3॥
एक ही बार जो तेरी शरणागति आता।
यम की त्रास मिटाकर परमगति पाता॥
जग गंगे माता॥4॥
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
अर्जुन वहीं सहज में मुक्ति को पाता॥
जय गंगे माता॥5॥