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"वह धन्य घड़ी है आ‌ई / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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वह धन्य घड़ी है आ‌ई।
 
वह धन्य घड़ी है आ‌ई।
 
   कीरति ने राधा जा‌ई।
 
   कीरति ने राधा जा‌ई।
तब सब दिसि बजी बधा‌ई।
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  तब सब दिसि बजी बधा‌ई।
सब के मन मुदिता छा‌ई॥
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    सब के मन मुदिता छा‌ई॥
  
 
लछमी बन दा‌ई आर्ईं।
 
लछमी बन दा‌ई आर्ईं।
 
  ग्वालिनि सब मिलि-मिलि धार्ईं।
 
  ग्वालिनि सब मिलि-मिलि धार्ईं।
 
   परसा-धरसा की मार्ईं।
 
   परसा-धरसा की मार्ईं।
बनि-ठनि कै सबै लुगार्ईं॥
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  बनि-ठनि कै सबै लुगार्ईं॥
  
 
सब चलीं हि‌एँ हरषार्ईं।
 
सब चलीं हि‌एँ हरषार्ईं।
 
  सब ही सब के मन भार्ईं।
 
  सब ही सब के मन भार्ईं।
कीरति-मंदिर प्रबिसा‌ई।
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  कीरति-मंदिर प्रबिसा‌ई।
जिनि रोकौ, देत दुहा‌ई॥
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  जिनि रोकौ, देत दुहा‌ई॥
  
 
जब खबर नंद ने पा‌ई।
 
जब खबर नंद ने पा‌ई।
 
  जसुमति कौं संग लेवा‌ई।
 
  जसुमति कौं संग लेवा‌ई।
लाली-मुख निरखन ताँई।
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  लाली-मुख निरखन ताँई।
पहुँचे बरसाने आ‌ई॥
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  पहुँचे बरसाने आ‌ई॥
 
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19:46, 30 मई 2014 के समय का अवतरण

वह धन्य घड़ी है आ‌ई।
  कीरति ने राधा जा‌ई।
   तब सब दिसि बजी बधा‌ई।
    सब के मन मुदिता छा‌ई॥

लछमी बन दा‌ई आर्ईं।
 ग्वालिनि सब मिलि-मिलि धार्ईं।
  परसा-धरसा की मार्ईं।
   बनि-ठनि कै सबै लुगार्ईं॥

सब चलीं हि‌एँ हरषार्ईं।
 सब ही सब के मन भार्ईं।
  कीरति-मंदिर प्रबिसा‌ई।
   जिनि रोकौ, देत दुहा‌ई॥

जब खबर नंद ने पा‌ई।
 जसुमति कौं संग लेवा‌ई।
  लाली-मुख निरखन ताँई।
   पहुँचे बरसाने आ‌ई॥