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"संकर से सुर जाहिं जपैं / रसखान" के अवतरणों में अंतर

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संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं।
 
संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं।
 
 
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।
 
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।
 
 
जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन पावैं।
 
जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन पावैं।
 
 
ताहिं अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पे नाच नचावैं।।
 
ताहिं अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पे नाच नचावैं।।
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11:01, 7 जून 2014 के समय का अवतरण

संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं।
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।
जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन पावैं।
ताहिं अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पे नाच नचावैं।।