"व्यर्थ हँसी न उड़वायें / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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रसगुल्ले कुछ बनवायें| | रसगुल्ले कुछ बनवायें| | ||
फिर बैठक में हुआ फैसला, | फिर बैठक में हुआ फैसला, | ||
− | कच्चा माल कहां पाएं | | + | कच्चा माल कहां पाएं| |
खोवा लल्लू की दुकान से, | खोवा लल्लू की दुकान से, | ||
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थोड़ी सी मेंदा औ काजू, | थोड़ी सी मेंदा औ काजू, | ||
− | खुशबू वाले इत्र जरा | + | खुशबू वाले इत्र जरा| |
किसी पड़ौसी के घर जाकर, | किसी पड़ौसी के घर जाकर, | ||
− | मम्मीजी | + | मम्मीजी खुद ही लायें| |
गैस है घर में पानी घर में, | गैस है घर में पानी घर में, | ||
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एक किलो निर्माण कराने, | एक किलो निर्माण कराने, | ||
− | में कितना खर्चा होगा | + | में कितना खर्चा होगा| |
सभी निवेदन करने वाले, | सभी निवेदन करने वाले, | ||
ठीक ठीक से बतलायें| | ठीक ठीक से बतलायें| | ||
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जो यथार्थ में सच्ची हो| | जो यथार्थ में सच्ची हो| | ||
शेख चिल्लियों जैसे बनकर, | शेख चिल्लियों जैसे बनकर, | ||
− | व्यर्थ हँसी ना | + | व्यर्थ हँसी ना उड़वायें| |
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10:35, 30 जून 2014 के समय का अवतरण
इक दिन घर में बनी योजना,
रसगुल्ले कुछ बनवायें|
फिर बैठक में हुआ फैसला,
कच्चा माल कहां पाएं|
खोवा लल्लू की दुकान से,
शक्कर लाला के घर से|
करें निरीक्षण खुद पापाजी,
माल ठीक से तुलवायें|
थोड़ी सी मेंदा औ काजू,
खुशबू वाले इत्र जरा|
किसी पड़ौसी के घर जाकर,
मम्मीजी खुद ही लायें|
गैस है घर में पानी घर में,
बड़ी कढ़ाई है घर में,
प्रश्न था लेकिन रसगुल्ले अब ,
किसके द्वारा बनवायें|
पापा बोले अखवारों में
विग्यापन हम देते हैं|
रसगूल्लों के सिद्धहस्त को,
अपने घर में बुलवायें|
एक किलो निर्माण कराने,
में कितना खर्चा होगा|
सभी निवेदन करने वाले,
ठीक ठीक से बतलायें|
सुनकर ये बातें मम्मी का,
पारा सौ के पार हुआ|
बोलीं चलते हैं बज़ार में,
चलकर रसगुल्ले लायें|
बात वही अच्छी होती है,
जो यथार्थ में सच्ची हो|
शेख चिल्लियों जैसे बनकर,
व्यर्थ हँसी ना उड़वायें|