"किस्सा "कृष्ण जन्म" / मांगे राम" के अवतरणों में अंतर
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+ | पृथ्वी कहण लगी ब्रह्मा से, लाज बचा द्यों नें मेरी। | ||
+ | उग्रसैन का कंस अधर्मी जिन्हें ऋषियों पे विपता गेरी ॥ | ||
− | यज्ञ-हवन तप-दान रहे ना होगी सूं बलहीन | + | यज्ञ-हवन तप-दान रहे ना होगी सूं बलहीन प्रभु। |
− | संध्या तर्पण अग्नि-होत्र कर दिए तेरा-तीन | + | संध्या तर्पण अग्नि-होत्र कर दिए तेरा-तीन प्रभु। |
− | वेद शास्त्र उपनिषदों में करता नुक्ताचीन | + | वेद शास्त्र उपनिषदों में करता नुक्ताचीन प्रभु। |
− | राम-नाम सबका छुडवाया कुकर्म में लौ-लीन | + | राम-नाम सबका छुडवाया कुकर्म में लौ-लीन प्रभु। |
− | जरासंध शीशपाल अधर्मी करते हैं हेरा-फेरी | + | जरासंध शीशपाल अधर्मी करते हैं हेरा-फेरी ॥१॥ |
− | गंगा-यमुना त्रिवेणी का बंद करया अस्नान | + | गंगा-यमुना त्रिवेणी का बंद करया अस्नान प्रभु। |
− | जहाँ साधू संत महात्मा योगी करया करै गुजरान | + | जहाँ साधू संत महात्मा योगी करया करै गुजरान प्रभु। |
− | मंदिर और शिवाले ढाह दिए घाल दिया घमशान | + | मंदिर और शिवाले ढाह दिए घाल दिया घमशान प्रभु। |
− | हाहाकार मची दुनिया म्हं जल्दी चल भगवान | + | हाहाकार मची दुनिया म्हं जल्दी चल भगवान प्रभु। |
− | मैं मृतलोक म्हं फिरूं भरमती आके शरण लई तेरी | + | मैं मृतलोक म्हं फिरूं भरमती आके शरण लई तेरी ॥२॥ |
− | न्याय-नीति और मनु-स्मृति भूल गया संसार | + | न्याय-नीति और मनु-स्मृति भूल गया संसार प्रभु। |
− | भूल गया मर्याद जमाना होरी मारो-मार | + | भूल गया मर्याद जमाना होरी मारो-मार प्रभु। |
− | कोन्या ज्ञान रह्या दुनिया म्हं होग्ये अत्याचार | + | कोन्या ज्ञान रह्या दुनिया म्हं होग्ये अत्याचार प्रभु। |
− | पत्थर बाँध कै ऋषि डुबो दिए जमुना जी की धार | + | पत्थर बाँध कै ऋषि डुबो दिए जमुना जी की धार प्रभु। |
− | संत भाजग्ये हिमालय पै मथुरा में डूबा ढेरी | + | संत भाजग्ये हिमालय पै मथुरा में डूबा ढेरी ॥३॥ |
− | सतयुग म्हं हिरणाकुश मरया नृसिंह रूप धरया | + | सतयुग म्हं हिरणाकुश मरया नृसिंह रूप धरया प्रभु। |
− | त्रेता म्हं तने रावण मारया बण कै राम फिरया | + | त्रेता म्हं तने रावण मारया बण कै राम फिरया प्रभु। |
− | कृष्ण बण कै कंस मार दे होज्या बृज हरया | + | कृष्ण बण कै कंस मार दे होज्या बृज हरया प्रभु। |
− | कहै ‘मांगेराम’ रम्या सब म्हं, हूँ सवेक शाम तेरा | + | कहै ‘मांगेराम’ रम्या सब म्हं, हूँ सवेक शाम तेरा प्रभु। |
− | बृज म्हं रास दिखा दे आकै गोपी जन्म घरां लेरी | + | बृज म्हं रास दिखा दे आकै गोपी जन्म घरां लेरी ॥४॥ |
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18:02, 8 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
पृथ्वी कहण लगी ब्रह्मा से, लाज बचा द्यों नें मेरी।
उग्रसैन का कंस अधर्मी जिन्हें ऋषियों पे विपता गेरी ॥
यज्ञ-हवन तप-दान रहे ना होगी सूं बलहीन प्रभु।
संध्या तर्पण अग्नि-होत्र कर दिए तेरा-तीन प्रभु।
वेद शास्त्र उपनिषदों में करता नुक्ताचीन प्रभु।
राम-नाम सबका छुडवाया कुकर्म में लौ-लीन प्रभु।
जरासंध शीशपाल अधर्मी करते हैं हेरा-फेरी ॥१॥
गंगा-यमुना त्रिवेणी का बंद करया अस्नान प्रभु।
जहाँ साधू संत महात्मा योगी करया करै गुजरान प्रभु।
मंदिर और शिवाले ढाह दिए घाल दिया घमशान प्रभु।
हाहाकार मची दुनिया म्हं जल्दी चल भगवान प्रभु।
मैं मृतलोक म्हं फिरूं भरमती आके शरण लई तेरी ॥२॥
न्याय-नीति और मनु-स्मृति भूल गया संसार प्रभु।
भूल गया मर्याद जमाना होरी मारो-मार प्रभु।
कोन्या ज्ञान रह्या दुनिया म्हं होग्ये अत्याचार प्रभु।
पत्थर बाँध कै ऋषि डुबो दिए जमुना जी की धार प्रभु।
संत भाजग्ये हिमालय पै मथुरा में डूबा ढेरी ॥३॥
सतयुग म्हं हिरणाकुश मरया नृसिंह रूप धरया प्रभु।
त्रेता म्हं तने रावण मारया बण कै राम फिरया प्रभु।
कृष्ण बण कै कंस मार दे होज्या बृज हरया प्रभु।
कहै ‘मांगेराम’ रम्या सब म्हं, हूँ सवेक शाम तेरा प्रभु।
बृज म्हं रास दिखा दे आकै गोपी जन्म घरां लेरी ॥४॥