भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कने कने मध्यान्तर दैत / यात्री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह=पत्रहीन ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:44, 16 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

कने कने मध्यान्तर दैत
उझिलि गेल छ’ मुल्की पानि
कने कने मध्यान्तर दैत
द’ गेल छहक अछार पर अछार
कने कने मध्यान्तर दैत
गली-गली मेँ लगा गेल छहक
भरि छाबा पानि
भरि ठेहुन पाना
बाजह हे श्यामघन
बाजह हे कारी-कारी मेघ
की करबहक राति खन?

की करबहक राति खन?
बाजह हे श्याम घन।
बाजह हे कारी-कारी मेघ।
की करबहक राति खन?
नुकओने जुनि रहिहक,
नाच’ दिहक एक रति बिजुलत्ता केँ
ककरो कहाँ लगतहु अगलाह
पैर छुबि कँ लगतहु तोरा गोड़
सुहासिनि अन्हरिआ राति।
तखन फेर थीर भ’ क’
देखइत बरू रहिह’
हजार - हजार झिड़ रक अजस्त्र झंकार।
हजार - हजार ढाबुसक मेदुर - उद्गार।

अहिना बरू होम’ दिहक प्रात
अहिना बरू सिहक’ दिहक दोरस बसात
दोहाई हे श्याम घन
होहाइ हे कारी कारी मेघ।
संच मंच रहिह’ रातिखन
समेटने रहिह’ अपन भाभट