भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एकटा सामान्य जंक्शन / यात्री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह=पत्रहीन ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:00, 16 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
एकटा सामान्य जंकशन
एकटा सामान्य ट्रेन
द0 पू0 रे0... द0 दू0 रे0... द0 पू0 रे0
अन्तिम श्रावण केर स्निग्ध आर्द्र परिवेश
निराकुल प्लेटफार्म
जनविरल मोसाफिरखाना
बीच बीचमेँ अवैत जाइए
गोटेक - आधेक आदिवासी चेहरा
केहन दीब लगइए ई
एकटा सामान्य जंक्शन
चुपचाप ससरि गेल
नजरिक सोझासँ
एकआ सामान्य ट्रेन
स्लीपिंक कोचक
समानान्तर बर्थ पर
सूतलि ओहिना, पहुँचि जइतो
ओ बेचारी कनी काल मेँ चाकुलिया
एखन उतरवा काल, अलक्षिते
नमस्कार क’ आएल छिअइन
ओहि सुमुखी - सुदर्शना केँ
मोन होइए रहि रहि
भने होइए अपना बर्थ पर पड़ले पड़ल
अवचेतनमेँ करैत ओहिना गपशप
चल गेल रहितहुँ चाकुलिया