भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अनसोहाँत ई कदमक फूल / यात्री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह=पत्रहीन ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:45, 17 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
अनसोहाँत ई कदमक फूल
हमर विधाता छथि प्रतिकुल
दिन बीतल पँ राति पहाड़
तिलकें देखल भेल’छि ताड़
की इच्छा अछि कहु कहु साजन
किए कठोर पिरीतिक शासन
विरह ध्ऑठलि हम अनबूझ
परम अभागलि, पथ नहि सूझ
के रोकत, हम जाएब संग
रति सङ निशि-दिन बसथि अनंग
प्रिय यदि अहाँ रहब अनुकूल
बड़ दिब लागत कदमक फूल