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"पाकल फल टटका / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’" के अवतरणों में अंतर

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बात अछि कनेके टा,
मुदा पैघ लोक केर
तेँ एकरा पेटेमे कृपया पचायली।
बहुत लगक हॉलमे आयल रहै एक खेल
नीकोमे नीक, बुझू ‘हाइओमे हाइकलास’
छौंड़ीसँ छौड़ा धरि, युवतीसँ बुढ़बा धरि
लाज-धाख छोड़ि छाड़ि
उमकि उमकि नाचल छल
डान्सक तँ फिल्ममे उजाहि आबि गेल रहै।
कूदबसँ फानबसँ
नाचब आ गायब सँ अतिशय सिनेह रहनि
‘मैडम’ तेँ चाहथि जे देखी एकरा अवश्य।
साहेबकेँ चारि-पाँच दिन तँ समाद गेलनि
छट्ठमदिन अपनेसँ जाकऽ कहलथिन जे
आइ किच्छु बीतिजाय
देखबालै जाय पड़त।
साहेबकेँ सोझाँमे फाइलक पहाड़ छलनि,
हाफी करैत लैत दीर्घंश्वास बजला-
की एहूसँ बेसी आवश्यक ओ काज अछि?
नखरो कयलाक बाद
साहेबकेँ टससँ मस होइत जखन देखलनि नहि
पैर अपन पटकैत
देयोरेकेँ संग लगा
चलि पड़ली मैडम पाँव-पैदल
ओहि हाँल दिस
ताहिबात केर भेलनि एतबे नतीजा
जे होइतनि तँ पुत्र मुदा भेलथिन भतीजा।
अपने किरदानीसँ खयलनि ई पटका
पाश्चात्य सभ्यताक पाकल फल टटका।