भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उगत कोना चान / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:58, 8 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
एक भाग शिशिरक ई बरसि रहल ठार,
दोसर दिस रति भरल घोर अन्धकार,
सत्यकेर सूर्य डूबि गेल क्षितिज पर,
मुँहदुस्से सभहिक अछि सबतरि संचार
कृष्ण पक्ष थीक तखन उगत कोना चान
कखन होयत प्रात तकर कहत के ठेकान।