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"बरसात को इतवार / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
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अब चले आओ निमोही द्वार | अब चले आओ निमोही द्वार | ||
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मिल गया बरसात को इतवार | मिल गया बरसात को इतवार | ||
− | + | पानी थम गया है | |
साथ इन चंचल हवाओं के | साथ इन चंचल हवाओं के | ||
पंख फैला कर दिशाओं के | पंख फैला कर दिशाओं के | ||
उड़ न जाए मिलन का त्यौहार | उड़ न जाए मिलन का त्यौहार | ||
− | + | पानी थम गया है | |
धमनियों में स्नेह के बादल | धमनियों में स्नेह के बादल | ||
कर रहे ख़ामोश कोलाहल | कर रहे ख़ामोश कोलाहल | ||
पलक पर हैं प्यास के अंगार | पलक पर हैं प्यास के अंगार | ||
− | + | पानी थम गया है | |
धूप गोरी छोड़ कर अम्बर | धूप गोरी छोड़ कर अम्बर | ||
आ गई छत की मुण्डेरी पर | आ गई छत की मुण्डेरी पर | ||
आइना धर कर रही शृंगार | आइना धर कर रही शृंगार | ||
− | + | पानी थम गया है | |
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13:12, 11 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
अब चले आओ निमोही द्वार
पानी थम गया है
मिल गया बरसात को इतवार
पानी थम गया है
साथ इन चंचल हवाओं के
पंख फैला कर दिशाओं के
उड़ न जाए मिलन का त्यौहार
पानी थम गया है
धमनियों में स्नेह के बादल
कर रहे ख़ामोश कोलाहल
पलक पर हैं प्यास के अंगार
पानी थम गया है
धूप गोरी छोड़ कर अम्बर
आ गई छत की मुण्डेरी पर
आइना धर कर रही शृंगार
पानी थम गया है