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"हरी हुई सब भूमि / भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर

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14:49, 10 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

बरषा सिर पर आ गई हरी हुई सब भूमि
बागों में झूले पड़े, रहे भ्रमण-गण झूमि
करके याद कुटुंब की फिरे विदेशी लीग
बिछड़े प्रीतमवालियों के सिर पर छाया सोग
खोल-खोल छाता चले लोग सड़क के बीच
कीचड़ में जूते फँसे जैसे अघ में नीच