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"जाको धन, धरती हरी / गिरिधर" के अवतरणों में अंतर

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19:30, 10 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

जाको धन, धरती हरी, ताहि न लीजै संग।
ओ संग राखै ही बनै, तो करि राखु अपंग॥

तो करि राखु अपंग, भीलि परतीति न कीजै।
सौ सौगन्दें खाय, चित्त में एक न दीजै॥

कह गिरिधर कविराय, कबहुँ विश्वास न वाको।
रिपु समान परिहरिय, हरी धन, धरती जाको॥