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"काली भैंस / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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इन पठारी इलाकों में | इन पठारी इलाकों में | ||
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घिस कर चिकनी हो चुकी चट्टानें | घिस कर चिकनी हो चुकी चट्टानें | ||
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कैसे बिखरी हैं | कैसे बिखरी हैं | ||
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लगता है कि मैं दौडूंगा | लगता है कि मैं दौडूंगा | ||
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और काली भैंस सी पसरी चट्टान पर | और काली भैंस सी पसरी चट्टान पर | ||
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बैठते ही | बैठते ही | ||
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सामने बहती नदी की ओर | सामने बहती नदी की ओर | ||
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सीग उग आएंगे उसको | सीग उग आएंगे उसको | ||
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जिन्हें पकडकर मैं | जिन्हें पकडकर मैं | ||
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नहाउंगा नदी में | नहाउंगा नदी में | ||
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डूब - डूब । | डूब - डूब । | ||
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07:16, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
इन पठारी इलाकों में
घिस कर चिकनी हो चुकी चट्टानें
कैसे बिखरी हैं
जैसे मवेशी बैठे हों इधर-उधर
लगता है कि मैं दौडूंगा
और काली भैंस सी पसरी चट्टान पर
जा बैठूंगा
बैठते ही
चल देगी वह उठकर
सामने बहती नदी की ओर
रास्ते में
सीग उग आएंगे उसको
जिन्हें पकडकर मैं
नहाउंगा नदी में
डूब - डूब ।
1993