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"बहती नदी में चांद / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(जैसे चिडिया नहाती है सुबह की धूप में)
 
 
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बहती नदी में  
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खूब झलफलाता है चांद
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बहती नदी में
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खूब झलफलाता है चांद
 
जैसे चिडिया नहाती है
 
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सुबह की धूप में
 
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और मछलियां
 
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चांदनी में फंसती हैं इस तरह
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कि चली आती हैं दूर तक
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और लौट नहीं पाती हैं
  
चांदनी में फंसती हैं  इस तरह
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कि  चली आती हैं  दूर  तक
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और  लौट  नहीं पाती हैं
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चांदनी में
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नदी नहाते लोग
 
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लगते हैं सोंस से
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दूर से आती नाव
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घडियाल सा मुंह फाडे
 
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आगे बढती जाती है ।
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07:19, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

बहती नदी में
खूब झलफलाता है चांद
जैसे चिडिया नहाती है
सुबह की धूप में
और मछलियां
चांदनी में फंसती हैं इस तरह
कि चली आती हैं दूर तक
और लौट नहीं पाती हैं

चांदनी में
नदी नहाते लोग
लगते हैं सोंस से
और
दूर से आती नाव
घडियाल सा मुंह फाडे
आगे बढती जाती है ।
1996