भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पहरुए / रश्मि रेखा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रश्मि रेखा |अनुवादक= |संग्रह=सीढ़...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:00, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
पहरे की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है
पहरूए को लोकतंत्र में
पहरूए अपने चेहरे की हिफ़ाजत में
इस्तेमाल करते हैं कई-कई मुखौटे
प्रान्त के पहरूए से अधिक जादुई है
देश के पहरूए का नक़ाब
पहरे की सबसे ज्यादा ज़रूरतहोती है
पहरूए को
जब वह पिकनिक मनाता है
झरने के पास शिलाखंड पर बैठ कर खेलता है शतरंज
पहरूए की रखवाली करते है पहरूए
पहरे पर पहरा
लोकतंत्र के पहरूए की हकीक़त
बने रहे पहरूए
बिगड़ जाए भले देश का नक्शा
सभी दिशाएँ में फैला है
उनके भीतर का भय
लोकतंत्र के पहरूए तेज रफ़्तार में
दौड़ा रहे हैं कागज़ी घोड़े
धरती पर खुले आम चल रही है खूनी जंग
बांधते हुए हवाई पुल
पहरूए फ़तह करते रहे है हवाई किले