भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चिड़िया की उड़ान / रश्मि रेखा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रश्मि रेखा |अनुवादक= |संग्रह=सीढ़...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:37, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

एक दिन अहले सुबह
भूरे ऊन के गोले सी नन्हीं चिड़िया ने
अपनी आँखें खोली
बहुत प्यार भरी उष्मा से
अपनी आस=पास की दुनिया को निहारा
उस सुदूर उड़ान के लिए
अपने पंखों को तौला
कुछ तिनके लिए और
एक लम्बे मुश्किल सफ़र के लिए चल पड़ी
उत्साह से लबरेज

पर शाम होते ही
दुर्बल पंखो को फड़फड़ाती
अपने उसी घोंसले में सिमट आई
शायद इस दुःख के साथ
कि हमारी क़िस्मत इतनी नपी-तुली क्यों हैं