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"राग-बीज / रश्मि रेखा" के अवतरणों में अंतर

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22:44, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

तुम्हारे स्नेह की रोशनाई ने
भर दिए मेरी कलम में अशेष शब्द
जिसे तुम्हीं ने दिया था कभी
बनाए रखने को अपना वजूद
तुम्हारे नाम का एक-एक अक्षर
बोने लगा राग-बीज
बदलने लगे जीने के अर्थ
समय पर अंकित होने लगा इंतजार
अच्छी लगने लगीं
किताबों की बातें
बेमतलब की बातें
 दुनिया-जहान की
आत्मा में गहरे उतर आया
मेरे नाम में निहित तुम्हारा नाम