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"सुअर (दो) / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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20:38, 1 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
एक ऊंची इमारत से
बिलकुल तड़के
एक तन्दरुस्त सुअर निकला
और मगरमच्छ जैसी कार में
बैठ कर
शहर की ओर चला गया
शहर में जलसा था
फ्लैश चमके
जै- जै हुई
कॉफी - बिस्कुट बंटे
मालाएँ उछलीं
अगली सुबह
सुअर अखबार में
मुस्करा रहा था
उसने कहा था
हम विकास कर रहे हैं
उसी रात शहर से
चीनी और मिट्टी का तेल
ग़ायब थे।