भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भलेमानुस / पढ़ीस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पढ़ीस |संग्रह=चकल्लस / पढ़ीस }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:13, 7 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

भलमंसी का जामा<ref>ब्याह के समय पहना जाने वाला अँगरखे नुमा वस्त्र, शरीर</ref> पहिंदे
हम आहिन बड़े भलेमानुस।
चद्दरयि चारि तकिया त्यारह,
मलमल मखमली फूल वाली;
महलन माँ मउज उड़ायिति हयि,
अप्छरा नचायी मतवाली।
गुलगुले गद्यालन<ref>गद्यालन</ref> पर पउढ़े
हम आहिन बड़े भलेमानुस।
पूरी पकवानु मिठाई अउ
छप्पनउ भ्वाग <ref>छप्पन-भोग</ref> छत्तिस ब्ंियजन<ref>छत्तिस-व्यंजन</ref> ;
घिय के कुल्ला हम रोजु करी,
सरि जायिं कठउतिन भरि भोजन-
ह्वयि जायि अजीरन<ref>अजीर्ण, बदहज़मी</ref> खाति-खाति।
हम आहिन बड़े भलेमानुस।
हँयिं गाउँ - ग्यराउँ, जिमींदारी,
दुइ मिलयि खुलीं सक्करवाली
सोंठी साहुन के परप्वाता <ref>प्रपौत्र, पु़त्र का पुत्र</ref>
हुंडी चलतीं मोहरवाली।
बंकन<ref>बैंकों</ref> मा रूपया भरा परा
तिहिते हम बड़े भलेमानुस।
तुम भूँखन मरउ, मरउ भय्या!
नंगे उघार झख मारि - मारि;
हम तउ मनइन माँ द्यउता हम
युहु का जानी करतबु <ref>करतब, करिश्मे</ref> तुमार।
हम पर अनंद रूपु बरसयि,
हम आहिन बड़े भलेमानुस।
तुम घासु-लूक की ऊकन मा
तावा अस तपउ-तपउ, ज्ञानी!
पाला, पाथर, पानी भ्वागउ<ref>भोगना</ref>,
विधिना की अजभुत<ref>अद्भुत</ref> बानी।
हम हन पढ़ीस, हम हन बुद्धिमान,
तिहिं ते हम बडे़ं भलेमानुस।

शब्दार्थ
<references/>