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शिक्षा: बी. एस. सी. , बीएड , एम.ए. (हिंदी) , बी. ए. (संस्कृत) , सेवानिवृत्त हिन्दी प्रवक्ता ,

हाई स्कूल से ही कविता में विशेष रूचि

प्रथम पसंदीदा कवि- मैथिलीशरण गुप्त

अपने हाई स्कूल के सेंटप सहपरीक्षार्थियों के विदाई के समय का धन्यवाद भाषण कविता में ही दिया। वह कविता वहीं ऐन समय पर लिखी गई थी. एक सज्जन, जो शेषनाथ जी को कविता लिखते देख रहे थे, उन्होनें टिप्पणी की थी "निराला भी ऐसे ही लिखते थे".

इंटर, डिग्री में 'निराला' और 'पन्त' की रचनाओं से परिचित और प्रभावित हुआ। कई कवितायेँ रचीं। इनके संग्रह भी मैंने तैयार किए पर इन्हें प्रकाशित नहीं कराया।

अध्यापन के दौरान मैं रजनीश के साहित्य से परिचित हुआ. "अकेले की नाव अकेले की ओर" मैंने उनके एक सूत्र वाक्य से प्रभावित होकर लिखी. वह सूत्रवाक्य है- जीवन की यात्रा" अकेले से अकेले तक की है ". मैं इस यात्रा का राही हूँ. इसमें मैं अपने अकेले तक पहुँचने के लिए अपने अकेले की ओर भावगत हो यात्रारत हूँ.

उक्त संगुम्फन पिछली सदी के बीतने के पूर्व ही तैयार हो गया था। पर सेवानिवृत्ति के बाद ही इसके प्रकाशन में मैंने रूचि ली.