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पिछले वर्ष बाईस दिसंबर को भी,
तुम और मैं इसी जगह बैठे थे।
इसी दहलीज़ पर डूबते सूर्य का दृश्य
देखने के लिए
बिल्कुल इसी जगह ‘कौंसरनाग’ झील के गिर्द
ऊँचाइयों पर।
वह जो चोटी, बैल के कूबड जैसी है,
उसी पर सूर्य डूब गया था।
आज से हर रोज़ सूर्य इसी जगह
डूबता दिखाई देगा।
अगले साल, दूसरे, तीसरे और चौथे साल भी इसी जगह डूब जाएगा।
और फिर कौंसरनाग में
तत्काल कूद पड़ेगा
और फिर वहाँ से कभी न उभरेगा।